poeticrebellion
- 5 Posts
- 1 Comment
तुम अगर साफ़गोई कि यहाँ पर बात करते हो ….
भला फिर वक़्त कि इन हरकतों से …. क्योँ ही डरते हो …
थपेड़े और भी आयेंगे …. यूँ तुम को गिराने को ….
कुल्हाड़ी और भी गहरी जड़ों को काट जाएंगी …
मगर ये सच नहीं है … तो उठो और सामने आओ …
ये आरोपों कि आंधी है … जरा लड़ के तो दिखलाओ …
गरीबों का मसीहा हूँ …. ये कहना काफी आसाँ है ….
बदलते वक़्त कि मैं ही दिशा हूँ … काफी आसाँ है …
मगर सैलाब में …. आंधी में खुद को थाम कर रखना …
अगर आता हो तुम को ये हुनर … तो ये भी बतलाओ …
Read Comments